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यादगार पल

सत्पुरुष महाराज मंगतराम जी के

जीवनकाल के संस्मरण

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संगत समतावाद (रजि०)
समता योग आश्रम
जगाधरी - 135003
हरियाणा

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प्रकाशक:

संगत समतावाद
समता योग आश्रम
छछरौली रोड, जगाधरी - 135003

© संगत समतावाद

प्रथम संस्करण सन् 2011...............1500
 
द्वितीय संस्करण सन् 2022...............250

प्राप्ति स्थान

संगत समतावाद 
समता योग आश्रम
छछरौली रोड, जगाधरी - 135003

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प्रस्तावना

इससे पूर्व एक पुस्तक 'संस्मरण' नाम से प्रकाशित हो चुकी है, जिसमें उन शिष्यों के संस्मरण प्रकाशित हुए थे जिन्होंने सत्गुरुदेव महात्मा मंगतराम जी से दीक्षा प्राप्त की थी और कुछ समय उनके साथ रहने का अवसर प्राप्त हुआ था। परन्तु कई शिष्यों से समय पर सम्पर्क न होने के कारण उनके संस्मरण प्रकाशित होने से रह गए थे।
शेष शिष्यों से श्री शिव नाथ जी ने सम्पर्क करके उनके द्वारा बताए गए विभिन्न संस्मरण नोट किए हैं। इनको समय-समय पर 'समता सन्देश' मासिक पत्रिका में विभिन्न लेखों के रूप में प्रकाशित किया जाता रहा है। इस वर्तमान पुस्तक में उन सभी लेखों को शामिल किया गया है। साथ ही पिछली पुस्तक में जो कमी तथा गलतियाँ रह गई थी उनका भी संशोधन कर दिया गया है।
सत्पुरुषों के जीवन की घटनाओं को पढ़ने से व्यक्ति के अन्दर ईश्वर विश्वास की दृढ्ता उत्पन्न होती है, जिसके आधार पर मनुष्य का जीवन ईश्वर परायण बनता है। एक बार गुरुदेव ने अपने जीवन की घटना एक प्रेमी को सुनाई थी। घटना इस प्रकार थी:
महीना सावन का शुरू था। एक रात आप घर से निकल पड़े। काली अमावस्या की रात थी। बादलों के कारण अन्धकार की परत और भी गहरी हो गयी थी। समय का ठीक पता न चला। “कल्लर से चलते-चलते काफी दूर निकल गए। जो रास्ता 'चोहाँ भगताँ' की तरफ़ जाता था उस तरफ़ तेज़-तेज़ कदम उठाए। काली अंधेरी रात की वजह से पाँव फिसल गया। गहरी खाई में गिरने का पता लग रहा था - सीधे खड़े-खड़े नीचे जा रहे थे। बस इतना ही मालूम हुआ कि किसी लम्बे-लम्बे कोमल हाथ वाले ने गोद में ले लिया फिर होश न रही।"
जब सूरज निकला और दिन चढ़ गया तो आपने अपने को एक नदी

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के किनारे पाया। कुछ देर के बाद पाँव फिसलने, गिरने और गोद में लेने की सारी बात याद आ गई। नज़र उठा कर ऊपर देखा तो बड़ी ऊँची चोटी दिखाई दी। "वाह मेरे मालिक ! तू बड़ा ही बेपरवाह है, किस तरह हाथों से पकड़ कर यहाँ रख दिया है।"
ये शब्द आपके मुख से निकले। बड़ी देर तक नदी के किनारे बैठे रहे। दोपहर के बाद वहाँ से एक आदमी गुज़रा। उससे 'चोहाँ भगताँ' की ओर जाने वाला रास्ता पूछा। उसने इशारा करते हुए कहा, 'इस ओर ऊपर जाओ। वहाँ से सीधा रास्ता निकल जाता है।' फिर उठकर कपड़े उतारे, स्नान किया। शरीर पर कोई चोट न लगी थी, कहीं रगड़ तक का निशान न था। स्नान करके फिर वहाँ ही एक ओट में बैठ गए। 'चोहाँ भगता' जाने का विचार छोड़ दिया। शाम को वहाँ से उठे और कल्लर लौट आए।
उपरोक्त घटना पढ़कर तुरंत मन में एक विचार दौड़ जाता है कि जिस भगत को प्रभु की याद में अपने शरीर की सुध नहीं रहती उसकी किस प्रकार अन्तर्यामी प्रभु रक्षा करते हैं। मन में यह विश्वास पक्का हो जाता है कि प्रभु अपने भक्त के अंग-संग सदैव रहते हैं।
इस प्रकार गुरुदेव के शिष्यों ने जो भी संस्मरण सुनाए हैं या लिख कर दिए हैं उनको पढ़ने से प्रभु-भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलेगी तथा अपने जीवन में कमियों को दूर करने के लिए मार्गदर्शन प्राप्त होगा। जिन लोगों ने गुरुदेव के दर्शन नहीं किए हैं उनके मन में इस पुस्तक को पढ़कर गुरुदेव के प्रति श्रद्धा, प्रेम और गुरु भक्ति जाग्रत होगी।

प्रकाशक

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जन्म                :         नवम्बर 24, सन् 1903 ईस्वी
जन्म स्थान       :         गंगोठियां ब्राह्मणां, तहसील कहुटा 
                                 ज़िला रावलपिण्डी (पाकिस्तान)
महासमाधि       :         फरवरी 4, सन् 1954 ईस्वी (अमृतसर)

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विषय सूची

1. श्री देवराज गुप्ता, सोलापुर............................1

(1) अहंकार गुरु ही तोड़ता है...............................1

2. श्री नंद लाल बिन्द्रा, हल्द्वानी..........................8

(1)      गुरु द्वारा शिष्य की रक्षा...............................8
(2)      गुरुदेव द्वारा रोग निवारण.............................9
(3)      गुरु का स्वप्न में दर्शन सच्चा स्वप्न..................10
(4)      शिमला में वार्तालाप..................................11
(5)      नाद (शब्द का अनुभव)..............................13
(6)      बड़ों के प्रति विनम्रता.................................14
(7)      कर्मफल ज़रूरी भोगना पड़ता है...................15

3. श्री करम चन्द टंडन, चंडी............................18

(1)     गुरु स्वयं शिष्य को चुनता है.........................18
(2)     विकारों से मुक्ति........................................21
(3)     गुरु अन्तर्यामी...........................................22
(4)     कुछ अन्य बातें..........................................23

4. श्री नरेन्द्र जिन्दल, अम्बाला..........................25

(1) राम के दर्शन अंदर करो..............................25

5. श्री गंडू राम, जगाधरी.................................37

(1) सतगुरु से भेंट.......................................... 37

6. श्री नथ्था राम, जगाधरी.............................42

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(1)     जब गुरुदेव मिले..........................................42

7. श्री संत शरण अग्रवाल, बरेली........................48

(1)   गुरुदीक्षा.....................................................48

8. श्री मदन लाल कोहली, आगरा.......................54

(1)     नियम का पालन.........................................54
(2)     अन्त समय गुरु दर्शन...................................54
(3)     मन की बात जान लेना.................................55
(4)     आज्ञा उल्लंघन की मनाही.............................55

9. श्री सुन्दर दास, आगरा.................................56

(1)      संत अन्तर्यामी होते हैं..................................56
(2)      गुरु कृपा..................................................57

10. श्री हरि कृष्ण कपूर, देहरादून.......................58

(1)       गुरु मिलन...............................................58

11. श्री नरसिंह दास लौ, देहरादून......................63

(1)     सत्पुरुष से मिलाप.......................................63

12 . श्री संतराम गोसाईं, काहनूवान....................68

(1)     अन्तर्यामी सत्पुरुष......................................68
(2)     सिनेमा देखने की मनाही...............................69
(3)     गुरु कृपा की प्राप्ति......................................71

13 . श्री अमोलक राम बख्शी, पंजलासा..............75

(1)      शारीरिक स्वच्छता का अभ्यास से सम्बन्ध नहीं..75
(2)      प्रभु की भगत पर कृपा................................76
(3)      तन्दूर की अग्नि भी न जला सकी...................77
(4)      फ़कीरों के दरबार में कोई भेदभाव नहीं...........79

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14. श्री परस राम हरयाल, दिल्ली.......................81

(1)  सत्गुरु दर्शन..................................................81

15. श्री रामलाल, जहाँगीरपुर............................85

(1)  यज्ञ के लिए लकड़ी.........................................85

16. श्री सालिगराम एडवोकेट, कहुटा (पाकिस्तान)..88

(1)  संसार सत्य या असत्य.....................................88

17. श्री ओंकार नाथ, आगरा.............................92

(1)   ग्रामवासियों पर कृपा......................................92

18. श्री रतनचन्द्र महाजन, दौराँगला....................97

(1)   यज्ञ का उद्देश्य..............................................97
(2)   रस्म-रिवाज़ में सादगी.....................................98
(3)   गुरु का जीवन शिष्यों के लिए...........................99

19. श्री भीम सैन ओबराय, बरेली......................102

(1)    अभ्यास में समय की पाबंदी..........................102
(2)    सादगी का आदर्श.......................................103

20. श्री हकीम राजाराम दत्त, दिल्ली..................106

(1)       प्रभु परायणता........................................106
(2)       काली कम्बली प्यारी क्यों ?........................108

21. हरबंस लाल चावला, दिल्ली.......................113

(1)      सत्पुरुष श्राप नहीं देते................................113

22. श्री बिशम्बरदास लूथरा, बीकानेर.................116

(1)    योग विद्या आसानी से नहीं मिलती..................116

23. श्री रतन चन्द अग्रवाल, अम्बाला..................119

(1)      हिन्दू समाज का कल्याण समता की शिक्षा से...119

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24. श्री कृष्ण लाल शर्मा, दिल्ली.......................121

(1)    आन्तरिक स्थिति गुप्त रखनी चाहिए...............121
(2)    प्रेमियों से अपेक्षा.......................................124
(3)    संगत ही मालिक हैं.....................................125

25. श्री ओम कपूर, देहरादून..........................126

(1)    शिष्यों का कल्याण करनी से.........................126

26. श्री राम लाल नारंग, देहरादून.....................130

(1)     तपोभूमि का चयन....................................130

27. श्री हेमराज गेरा, देहरादून.........................133

(1)    अन्त समय 'राम' का जाप............................133

28. डॉ. मदन मोहन देहरादून..........................135

(1)     सरलता की मिसाल...................................135

29. श्री वज़ीर चन्द लूथरा, श्रीगंगानगर...............138

(1)     सच्ची श्रद्धा की असली भेंट.........................138

30. श्री जोगिन्दर पाल ग्रोवर, गोराया (पंजाब).....140

(1)      गुरु कृपा से विकार से मुक्ति........................140

31. श्री किशोरी लाल महंगी, जम्मू....................142

(1)     सिमरन के लिए दिशा की पाबन्दी नहीं............142

32. श्री रामजी फोतेदार, दिल्ली........................143

(1)    निर्मल खुराक से धर्म मार्ग में प्रगति..................143

33. महन्त रतन दास, अहमदाबाद.....................145

(1)     गुरुदेव के प्रथम शिष्य.................................145

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34. बाबू अमोलक राम मेहता, काला गुजराँ (पाकिस्तान)...............................................148

(1)     सत्पुरुष सर्वदृष्टा.......................................148
(2)     सही इन्सान बनो.......................................150
(3)     मूर्ति पूजा और पुनर्जन्म..............................151
(4)     फ़कीरों की निगाह में सब एक समान.............153

35. भगत बनारसी दास जी, कोहाला (पाकिस्तान).156

(1)     गुरु चरणों का मिलाप................................156
(2)     श्रीनगर में एक ब्रह्मचारी से भेंट....................159
(3)     थट्टा में गुरुदेव से वार्तालाप..........................161
(4)     बुत परस्ती (मूर्ति पूजा) का निर्णय.................163
(5)     टैक्सला म्यूजियम का भ्रमण........................164
(6)     गुरु वशिष्ठ का राम को उपदेश......................165
(7)     अंग्रेज भगत का सेवा भाव..........................168
(8)     फ़कीरों से प्रभु भक्ति माँगी जाती है................169
(9)     गुरु आज्ञा पालन.......................................170                                                
(10)   समता दृष्टि..............................................170
(11)   मृग-तृष्णा................................................171
(12)   हरिजनों के साथ प्रेम की नीति......................173
(13)   सनातन धर्म.............................................175
(14)   सत्पुरुषों की निर्लेपता.................................177
(15)   भेष बनाने की मनाही..................................179
(16 )  सच्चा साधु कभी नहीं सोता..........................181

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(17)       संसारी मोह त्यागने का संदेश...................181
(18)       हर प्रकार की सेवा के लिए प्रेरणा.............185
(19)       शिष्यों के लिए गुरुदेव की रात्रि में पैदल यात्रा187
(20)       हक की चीज़ ही ग्रहण करनी चाहिए.........189
(21)       गुरु की दी हुई वस्तु का महत्व.................190
(22)       गुरु सेवा का अनमोल फल.....................190
(23)       तंग कपड़े पहनने की मनाही...................191
(24)       मुहम्मद साहब का आदर्श जीवन.............192
(25)       गुरु नानक के स्वप्न में दर्शन....................193
(26)       अभ्यास के लिए धरती कुदरती आसन......195
(27)       जनता सन्तों से भी स्वार्थ पूर्ति चाहती.......196
(28)       महाराजा कश्मीर से भेंट........................196
(29)       शुद्ध आहार लाज़मी है..........................199

36. डी. एस. आर. साहनी, देहरादून................202

(1)       गुरुदेव द्वारा मनीआर्डर...........................202

37. के. एन. शर्मा, दिल्ली.............................204

(1)        गुरुदेव का आखिरी जन्म........................204